ads header

अभी - अभी

जोहार शब्द का अर्थ व उपयोग

"जोहार" शब्द की कोयतोरियन (प्रोटोआस्टेलाइड निग्रेटोयन ) समुदायों के गोण्डी आदि भाषाओं में अध्ययन,
जोहार-शब्द-का-अर्थ-व-उपयोग
कोया लया - लयोर 
आजकल जोहार शब्द से दिकूओ में हडकंप मची हुई है, हमारे लोग भी "जोहार" शब्द के शाब्दिक अर्थ को विश्लेषित करने के लिए दिकू भाषा डिक्शनरी का इस्तेमाल कर रहे हैं यह गलत है "जोहार" शब्द प्रकृति को प्यार करने वालों का प्यारा व पुनेमी उदेश्यो से परिपूर्ण शब्द है और इसके अर्थ को हम अपनी मातृभाषाओं गोण्डी, हल्बी, संथाली, भिली " आदि के शब्दों में ही खोज सकते हैंजोहार = "जो" + "हार" (जोहार जो, जोहार जो ) "जो " का गोण्डी लैंग्वेज में अर्थ एक सम्मान सूचक शब्दों के लिए सामान्यतः किसी को "इंगित" करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जबकि "हार" शब्द का प्रयोग गोण्डी लैंग्वेज में "सामुदायिकता" के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उदाहरण स्वरूप देशभर के कई हिस्सों में प्रचलित रेला पाटा नृत्य के दौरान युवक - युवतियों का एक दुसरे के हाथों से जुड़कर एक गोल घेरा बना होता है जिसे गोण्डी लैंग्वेज में "हार" कहा जाता है और उस गीत में उसी "सामूहिकता की भावना" को ही "जोहार" किया जाता हैवैसे भी "सामुहिकता" का व्यवहार हर आदिवासी समुदाय का मूलभूत गुण है और यह गुण हमारे इसी मूलमंत्र "जोहार" से सहस्राब्दियो पीढ़ियों से सतत् हस्तांतरित हो रहा है इस रेला पाटा में इसी "सामूहिकता" के तत्वों को अंकुरित करने वाले महान मानव विज्ञानी पहंदी पारी कुपार लिंगो पेन को भी सम्मान पुर्वक इन गीतों द्वारा "जोहार" किया जाता है, नृत्य के शुरुआती क्षणों में युवक - युवतियों को नृत्य के लिए जल्दी घेरा बनाने के लिए गोटूल के मुखिया द्वारा कहते हुए अक्सर सुना जाता है "अले सांडे सांडे हार पय्याट " इसी प्रकार जनवरी/पुस माह में होने वाले गोटुल ऐजुकेशन सिस्टम के लयोरो के महान "पुस कोलांग" अभियान में होने वाले नृत्य के दौरान भी युवकों की "लम्बी श्रृंखला की लड़ी" जो बनी होती है उसे भी "हिचेल "हार" कहा जाता हैइस प्रकार कई जगहों पर हम "हार" शब्द को व्यक्तियों के आपस में "सिस्टेमेटिक गुंथे हुऐ श्रृंखला" के लिए प्रयुक्त होते देख रहे है, उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि किसी से मिलते समय "जोहार" कहते हुए हमारे कहने का मतलब हैं कि "हमारी सामुदायिक भावना हमेशा बनी रहे " अर्थात "हमारे बीच के मजबूत रिश्तों के लिए" "सामुदायिकता की जय "
यहाँ पर इस बात का भी ध्यान रखें कि हिन्दी में "हार" का मतलब "हारना" और फुलो के "माला" के लिए इस्तेमाल किया जाता है जबकि गोण्डी में हार/माला के लिए "नेरक " शब्द इस्तेमाल किया जाता है, दिकूओ ने यहां एक गहरी चाल चलते हुए अपने डिक्शनरी में " हार " शब्द को "पराजित/पराजय" का पर्यायवाची बनाकर मूलवासियों के इस मूल मंत्र में हीनभावना लाकर तोड़ने की कोशिश की है
 इसे पराजित लोगों का सम्बोधन कहकर उनके कॉन्फिडेंस को गिराने की भी खूब कोशिश जारी है, पर यह शब्द सहस्राब्दियो से हमारे अदभुत एकता व प्रकृति सम्मत कोयतोरिन व्यवहार का "मूल आधार मंत्र" रहा है जिसे वे आज तक तोड़ नहीं पाऐ, और यही इस शब्द की ताकत है।

gond-gotul

एक अलग विश्लेषण देखे तो कुछ क्षेत्रों में  "जोहर " शब्द भी इस्तेमाल किया जाता है जिसमें "हार" की जगह "हर" शब्द जुड़ा हुआ है गोण्डी लैंग्वेज में " हर" का मतलब " रास्ता" से होता है चूंकि आदिम समुदायों में भाषा का स्वरूप गहन प्रतिकात्मक स्वरूप लिए होती है इसलिए इस शब्द का अर्थ हम "सही मार्ग पर चलने वाले को सम्मान " के रूप में "जोहर" शब्द का प्रयोग करते है या "रास्ता दिखाने वाले को सम्मान"। अगर एक और अलग तरह से विश्लेषण करें तो यह "जोहा" + "रा " शब्दों से मिलकर बना हुआ प्रतित होता है अर्थात "सदा एकजुट रहिऐ प्रिय" इस तरह से हमारा "जोहार/जोहर" शब्द अपने हर रूप में "सामुदायिकता" की भावना को ही प्रबलता प्रदान करती है, इसलिए भी हमारे लगभग सभी नृत्य सामुहिक ही होते हैं व्यक्तिगत अति महत्वकांक्षाओ को संतुलित करने के लिए और यह और भी आश्चर्यजनक है कि इस "जोहार" से सम्बन्धित नृत्य तकनीकों का मजबूत प्रमाण 10 हजार वर्ष से अधिक पूर्व के उन गुफा चित्रों कोया कोटांग में मिलते हैं जो कि भिमाल बेटका से लेकर कर्नाटक सहित देश भर के विभिन्न पहाड़ो गुफाओं में बिखरे हुए हैं।

कोयतोरियन्स( प्रोटोआस्टेलाइड – निग्रेटोयन ) समुदाय में 10 प्रकार के जोहार प्रचलित है 
कय जोहार
काल जोहार
कुर जोहार
ताडवा जोहार
चुम्मा ऐताना जोहार
डण्डा सरन अराना जोहार
पेन जोहार
लापी जोहार
ओण्डाले जोहार
पाटा जोहार

इन सभी का प्रयोग अलग - अलग परिस्थितियों में अलग - अलग समय पर अलग अलग ढंग से किया जाता है जैसे "डण्डा सरन अराना जोहार" में सामने वाले को खासकर पेन शक्तियों को लेटकर जोहार किया जाता है ,वहीँ छोटे बच्चों को घनिष्ठ बुजुर्ग व्यक्तियों के द्वारा चुम्मा देकर जोहार किया जाता है, इन सभी "जोहार" में "सेवा" शब्द जुड़ा हुआ होता है गोण्डी में "सेवा" जोहार का अर्थ कर्तव्य बोधक ऐसा कार्य जिसमें "लोककल्याण" की भावना जुड़ी हुई रहती है बहुतया प्रयुक्त किया जाता है
"सेवा" शब्द के लिए भाषा शास्त्री हासपेन दादा मोती रावेन कंगाली जी व अनेकों विद्वानों ने अपने ग्रन्थों पर विस्तृत व्याख्या किऐ है जिसे अध्ययन जरूर करें सेवा "जोहार" के विभिन्न आयामो को प्रायोगिक अवलोकन के लिए केबीकेएस के कोयापूनेम प्रशिक्षण शिविरों पर भी देख सकते हैं गोत्ररक्षक विंग के पाड़ लयोर मांझी बिसनु पद्दा जी के गोटूल करसना क्लास व केबीकेएस प्रशिक्षण शिविरों से अनुग्रहीत अंश

© नारायण मरकाम  
लिंगो ह्यूमन मैट्रिक्स एण्ड इनवायरमेन्ट सिस्टम केबीकेएस बुम गोटूल यूनिवर्सिटी बेड़मा माड़