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गोंड गोटुल से पहले गोटुल शब्द को जानना ज़रूरी है क्योंकि वर्तमान में गोटुल शब्द की व्याख्या गोटुल के उसूलों के विपरीत किया जा रहा है।



गोटुल क्या है ?

गोटुल, एक स्थान या कहें तो एक जगह जहाँ कोयतोर समुदाय के लोग इकट्ठा होकर किसी विषय पर चर्चा करते हैं। दुसरे शब्दों में कहें तो गोटुल यानी 'कोयतोर समुदाय का अस्तित्व' जो दो शब्दों से मिल कर बना है, जैसे - गो + टुल = गोटुल। गोटुल एक गोंडी शब्द है जिसमे "गो" यानि "ज्ञान" और "टुल" यानी "स्थान", जहाँ ज्ञान की बात की जाती हो वह गोटुल है, और गोटुल कोयतोर समुदाय के रीति - रिवाज़, भाषा, परम्पराएँ, ज्ञान - विज्ञान से जुडा हुआ एक केंद्र है। गोटुल से कोयतोर समुदाय प्रकृति के साथ जुड़ कर प्रकृति के नियमों को समझते हुए मानव सभ्यता के विकास में ज़रुरी विभिन्न घटकों का अध्ययन करते हुए खुद को विकट परिस्थिति में भी ज़िन्दा रखने में कामयाब हुआ है। फलस्वरूप आज हम 21वी सदी में हैं   

गोटुल की स्थापना किसने की थी  ?

गोटुल की स्थापना कोयतोर समुदाय के लाड़ले 'आदि महामानव संगीत के रचियता पहांदी पारी कुपार लिंगो पेन' ने कोयतोर समुदाय के सार्वभौमिक विकास के लिए किया था। पारी कुपार लिंगो को कोयतोर समुदाय में  प्रथम वैज्ञानिक के रूप में देखा जाता है, क्योंकि वो प्रकृति की गति को समझने में कामयाब हुए थे जिससे एन्टीक्लॉक सिध्दांत का जन्म हुआ। आज कोयतोर समुदाय इसी सिध्दांत का अनुसरण करता है,और शादी-ब्याह के फेरे से लेकर खेत में हल जुताई, धान मिंजाई जैसे कई कार्य दाएँ से बाएं की ओर किए जाते हैं  , हड़प्पा की खुदाई के दौरान मिले स्वास्तिक चिन्ह भी इसी एन्टीक्लॉक सिध्दांत पर बने हैं    


गोटुल के कार्य 


गोटुल संगठन की भावना को बल देता है, और एक गाँव का पूरा क्षेत्र गोटुल के अंतर्गत आता  है, इस लिए गोटुल से जुड़े लोग गाँव के हर सामाजिक कार्य जैसे - विवाह, मृत्यु, नामकरण, आदि में अपनी भागीदारी देते हैं  गोटुल में गाँव के युवक - युवतियों को सामाजिक दायित्वों के निर्वहन की शिक्षा के साथ - साथ हस्त-कलाओं का ज्ञान और अनुशासित जीवन जीने की सीख दी जाती है। गोटुल के लोग गाँव में आई किसी विपदा  का सामना एकजुट हो कर करते हैं, इसका उदाहरण बुमकाल/भूमकाल  विद्रोह है 


गोटुल के नियम


प्राचीन काल में इस गोंडवाना भू - भाग के प्रत्येक गाँव / नार में गोटुल हुआ करता था, जो समय साथ विलुप्त होता गया। आज बस्तर क्षेत्र में गोटुल कुछ ही संख्या में बचे हैं गोटुल में लड़के और लड़कियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए अलग - अलग मुखिया होता है लड़को के मुखिया को सिलेदार कहा जाता है और लड़कियों की मुखिया को झलको या अन्य नाम से जाना जाता है वैसे गोटुल के नियम अलिखित हैं किन्तु कठोर और सर्वमान्य हैं, जिसका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य होता है जैसे - 


1. सामाजिक कार्यों में भागीदारी - गाँव में होने वाले सामाजिक कार्य जैसे शादी, नामकरण, अंतिम संस्कार आदि में गोटुल के सभी सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होती है, क्योंकि सामाजिक कार्यों को गोटुल के लोगों  द्वारा संपन्न किया जाता है   
2. रीति - रिवाज़ों के अनुसार जो तीज / पर्व / पंडुम आते हैं उन अवसरों पर गाँव के सभी लोग एक जगह इकट्ठा होकर इन्हें मनाते हैं 
3. अलग - अलग अवसरों पर गाए जाने वाले गीतों की जानकारी होना अनिवार्य है, क्योंकि उन गीतों में कोयतोर के इतिहास को पिरोया गया है 
4. गोटुल की लड़कियों के लिए प्रतिदिन लकड़ी लाना अनिवार्य होता है 
5. लड़को को गोटुल के लडकियों के लिए पनिया ( एक तरह का कंघा ) बना कर देना आवश्यक होता है 
6. अपने वरिष्ठों का सम्मान करना तथा अपने से छोटों के प्रति स्नेह होना आवश्यक है, 
7. संस्था के पदाधिकारियों द्वारा दिये गये कार्यों को सम्पन्न करना आवश्यक है,
8. मोटियारिनों के लिये आवश्यक है कि वे गोटुल के भीतर तथा बाहर साफ - सफाई रखें 
9. गाँव के किसी भी सामाजिक कार्य में गोटुल की सहमति का होना आवश्यक है 
10. गोटुल तथा गाँव में शान्ति बनाए रखने में सहयोगी होना आवश्यक है।


आइये अब जानते है गोंड गोटुल के बारे में


गोंड गोटुल से पहले हम गोंड शब्द पर बात करेंगे ताकि  आपके मन में गोंड  शब्द को लेकर किसी तरह के सवाल न उठें। वर्तमान में गोंड शब्द का प्रयोग आदिवासियों के एक समूह की पहचान तक ही सीमित रह गया है  पर यहाँ गोंड शब्द का तात्पर्य इस भू - भाग से है और इस भू - भाग में जो लोग निवास करते आ रहें हैं वे सभी गोंड है, दुसरे शब्दों में वे सभी गोंडवाना लैंड के वासी हैं। 'गोंड गोटुल' दो अलग - अलग शब्दों से मिल कर बना है - गोंड यानी गोंडवाना भू - भाग और गोटुल यानी एक विमर्श का स्थान जहा लोग वैज्ञानिकता से सीखते हैं।  

गोंड गोटुल के उद्देश्य 

गोंड गोटुल वेब पेज को इस गोंडवाना भू - भाग के निवासियों के रीति - रिवाज़, भाषा - बोली, परम्पराओं को विश्व पटल पर रखने के उद्देश्य से बनाया गया है 


Our Team

Rakesh Darro

राकेश दर्रो

CEO & Founder,

Gond gotul

रजनीश संतोष

Editor & Founder,

Gond gotul