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धरती की उत्पति कैसे और कब हुई ?

बचपन से लेकर आज तक हम यही क़िस्से सुनते आ रहे हैं की हमारी इस धरती और इस धरती के जीव जन्तुओ से लेकर हम इंसानों तक को भगवान ने बनाया है यहाँ तक की ऊपर आकाश के चांद, सूरज और असंख्य तारें भी भगवान का बनाया हुआ है और भगवान ही ब्रम्हांड के कर्ता - धर्ता हैं यानि सर्वपरी हैं, अगर आप ऐसे सोचते है तो ठहर जाइए  यह  लेख आपके लिए नही है क्यूंकि हम इस लेख में भगवान, अल्लाह, गॉड, से कोसो दूर  वैज्ञानिक सिध्दांतो के आधार पर धरती की जन्म के रहस्य को समझेगें
खैर आप में से कितने लोग इन बातो पर यकींन रखते हैं, वैसे धार्मिक मान्यताओं में धरती की उत्पति को लेकर अलग - अलग बाते कही गई है पर हम उन मान्यताओं से दूर वैज्ञानिक सोच पर बात करेंगे  

 धरती की उत्पति कैसे और कब हुई ?


धरती की उत्पति के रहस्य को जानने से पहले हमें 
ब्रह्माण्ड को जानना होगा क्यूंकि हमारी धरती से पहले ब्रह्माण्ड अस्तित्व में आया है  

ब्रह्माण्ड का जन्म -

ब्रह्मांड के जन्म के रहस्य को सामने लाने के लिए वैज्ञानिकों ने कई सिद्धान्त दिए हैं  जिनमे से  स्टीफन हॉकिंग के बिग बैंग सिद्धान्त  को ज्यादा मान्यता मिली है, वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग के अनुसार ब्रह्मांड का जन्म लगभग 13.8 अरब साल पहले हुआ है
बिग बैंग सिद्धांत कहता है कि अरबों साल पहले पूरा ब्रह्मांड पदार्थों और ऊर्जा के एक बिंदु के रूप में था। इस बिंदु के केंद्र में महाविस्फोट हुआ जिसके बाद वह फैलता गया और उसी के परिणाम स्वरूप ब्रह्मांड का जन्म हुआ और तारे, ग्रहों के बनने की प्रक्रिया लगातार चलती रही जो मौजूदा समय में हमारे सामने है। 
वैज्ञानिको के अनुसार ब्रह्मांड में अब तक 19 अरब आकाशगंगाएं होने का अनुमान है. और सभी आकाशगंगाएं एक - दूसरे से दूर हटती जा रही हैं।  19 अरब आकाशगंगाओं में से हमारी - मिल्कीवे आकाशगंगा भी है और मिल्की वे आकाशगंगा में हमारी पृथ्वी और सूर्य हैं।  

आज भी फैल रहा ब्रह्मांड 

वैज्ञानिकों के मुताबिक इस महाविस्फोट में इतनी ऊर्जा थी कि उसके प्रभाव से आज भी ब्रह्मांड फैलता जा रहा है। अमेरिकी पत्रिका 'साइंस' में वैज्ञानिकों का यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है। इसमें उन तंत्रों का विस्तृत विवरण दिया गया है, जो विस्फोट का कारण बन सकते हैं। ये तंत्र उन मॉडलों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिनका उपयोग वैज्ञानिक ब्रह्मांड की उत्पत्ति को समझने के लिए कर रहे हैं।

धरती 

जब हम ऊपर की ओर देखते हैं तो हमे नीला आसमान और बादल ही दिखाई पड़ता है और रात को चमकते तारे, हम बिना किसी यंत्र के बस इतना ही देख सकते हैं क्यूंकि ब्रह्माण्ड की विशालता हमारी सोच से भी परे है  जिसका हम कल्पना भी नहीं कर सकते है, इस ब्रह्माण्ड में अरबों गलैक्सी,खरबो तारे और ना जाने कितने ग्रह और सौरमंडल है,इसी ब्रह्माण्ड में एक अद्भुत  गलैक्सी है जिसका नाम है Milkway ,इस गलैक्सी में अरबों तारे,ग्रह और सौरमंडल है,इसी गलैक्सी में एक अद्भुत ग्रह हमारी धरती भी है हमारी धरती अद्भुत इस लिए है क्यूंकि हमारी धरती पर जीवन है और यहाँ अरबो जीव निवास करते हैं।

धरती की उत्पति / जन्म - 

हमारी धरती का जन्म  सौरमंडल के निर्माण के साथ ही शुरू हुआ है आज से करीब 4.6 अरब साल पहले धूल के कण और गैस के ठंडे बादल ब्रह्माण्ड के एक छोर सौरमंडल में तैर रहे थे जो धीरे - धीरे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आपस में टकरा कर जुड़ रहे थेजो बाद में हमारी धरती का रूप लेने वाला था 
हमारी गलैक्सी मिल्की वे में सूर्य का जन्म पहले ही विस्फोट के समय हो चूका था और जो धुल के कण अंतरिक्ष में तैर रहे थे वो उसी विस्फोट के बाद का नजारा था  
शुरूआती दौर में हमारी पृथ्वी का तापमान 1200 डिग्री सैल्सियस था उस समय उबलती चट्टानें, कार्बनडाई आक्साइड, नाइट्रोजन और जल वाष्प,और  ठोस सतह के नाम पर सिर्फ खौलता लावा 
एक ऐसा माहौल था जिसमे पल भर में दम घुट जाता 

चाँद का जन्म -

चांद के जन्म की रहस्य, आखिर चांद का जन्म कैसे हुआ. इसके पीछे विज्ञान के अपने तर्क हैं और धर्मग्रंथों की अपनी मान्यताएं पर हम धर्मग्रंथों की मान्यताओं से दूर वैज्ञानिक तर्कों को देखेंगे - की आखिर चांद का जन्म कैसे हुआ ?

चाँद पर कई किस्से कहानिया, सेरो - शायरी लिख कर चाँद को प्रेमिका की मुखड़े और आँख जैसे न जाने कई खुबसूरत लाइनों से सजाया गया है
  यहाँ तक की बच्चो के प्यारे मामा भी बताया गया है और काले दाग को लेकर भी कई किस्से कहानी गड़ा गया है पर ये सब बाते अपोलो मिशन के बाद सिर्फ किताबो के पन्नो की शोभा बढाने तक में ही रहा गया है अपोलो मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों के ज़रिये चांद से लाए गए नमूने एक के बाद एक राज खोलता गया 

वैसे ये कोई नया सिद्धांत नहीं है. ये पहले से माना जाता रहा है कि चांद का जन्म  खगोलीय टक्कर के परिणाम स्वरूप हुआ है हालांकि एक दौर ऐसा भी आया जब कुछ लोग कहने लगे कि ऐसी कोई टक्कर हुई ही नहीं 

लेकिन वर्ष 1980 से आसपास से इस सिद्धांत को स्वीकृति मिली, और कहा गया कि 4.5 बिलियन साल पहले पृथ्वी और थिया के बीच हुई टक्कर ने चंद्रमा की उत्पत्ति / जन्म हुआ है, थिया का नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं में मौजूद सीलीन की मां के नाम पर रखा गया है . सीलीन को चांद की मां कहा जाता है 

यानी चाँद का जन्म पृथ्वी से थिया नामक ग्रह टकराने के बाद हुआ है   

प्रथ्वी 22.5 डिग्री झुकी हुई है 

यह झुकाव इसके अपने प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा के कारण है तथा पृथ्वी के इस झुकाव के कारण ही मौसम बदलते हैं यानी कि पृथ्वी पर विभिन्न मौसमों के बदलने का एकमात्र कारण है पृथ्वी का अपने अक्ष पर झुका होना।